गुरु पुष्य योग का अर्थ
[ gauru pusey yoga ]
गुरु पुष्य योग उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र के आने से होने वाला योग:"गुरु पुष्य योग में चाँदी, सोने, नये वाहन, बही-खातों की खरीदारी एवं गुरु ग्रह से संबंधित वस्तुएँ अत्यधिक लाभ प्रदान करती हैं"
पर्याय: गुरु-पुष्य योग, पुष्यामृत योग
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- इसमें गुरु पुष्य योग स्थानीय सूर्योदय से आरंभ होगा।
- इसमें गुरु पुष्य योग स्थानीय सूर्योदय से आरंभ होगा।
- रवि तथा गुरु पुष्य योग सर्वार्थ सिद्धिकारक माना गया है।
- इसी प्रकार गुरुवार को पुष्य नक्षत्र होने से गुरु पुष्य योग कहाजात है।
- इसी प्रकार गुरुवार को पुष्य नक्षत्र होने से गुरु पुष्य योग कहाजात है।
- इस दिन गुरु पुष्य योग तो बनेगा , लेकिन अन्य शुभ संयोग नहीं बनेंगे।
- 3 . गुरु पुष्य योग में अनार की जड़ बांह अथवा गले में धारण करें।
- 3 . गुरु पुष्य योग में अनार की जड़ बांह अथवा गले में धारण करें।
- गुरु पुष्य योग : गुरुवार को पुष्य नक्षत्र हो तो गुरु पुष्य योग बनता है।
- गुरु पुष्य योग : गुरुवार को पुष्य नक्षत्र हो तो गुरु पुष्य योग बनता है।